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Bihar Liquor News : चुनाव से पहले सरकार का बड़ा फैसला फिर से चालू होगा बिहार में शराब! जाने नया नियम कानून ।

Bihar Liquor News : बिहार में एक बार फिर से शराबबंदी को लेकर सियासी हलचल तेज़ हो गई है। जैसे-जैसे चुनावी मौसम नज़दीक आ रहा है, सरकार और विपक्ष दोनों ही अपने-अपने पत्ते खोल रहे हैं। मुद्दा वही पुराना है  शराबबंदी, लेकिन इस बार सवाल बड़ा है। “क्या बिहार में फिर से शराब की बिक्री शुरू होगी? क्या सरकार अपनी नीति में बदलाव करेगी, और सबसे अहम “क्या शराबबंदी अब सिर्फ नाम की रह गई है? आज की इस खास रिपोर्ट में इन्हीं सभी बिंदुओं पर विस्तार से बात करते हैं।

शराबबंदी पर फिर से बहस क्यों छिड़ी?

साल 2016 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी लागू की थी। उस वक्त इसे “महिलाओं की मांग” बताकर समाज सुधार का कदम कहा गया था। सरकार का दावा था कि इससे घरों में शांति आई, महिलाओं पर हिंसा कम हुई और परिवारों की आर्थिक स्थिति बेहतर हुई। लेकिन अब, 2025 में, यही कानून सवालों के घेरे में है। लोग पूछ रहे हैं अगर शराबबंदी सच में लागू है, तो हर महीने जहरीली शराब से मौतों की खबरें क्यों आती हैं? अगर शराब बंद है, तो हर मोहल्ले में बोतलें कैसे पहुंचती हैं?

नीतीश कुमार का बयान और सरकार का स्टैंड

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बार-बार दोहराते हैं। हमने शराबबंदी औरतों के कहने पर की थी, इसे खत्म करना उनके विश्वास से धोखा होगा। उनका कहना है कि शराबबंदी केवल कानून नहीं, बल्कि “संस्कार और समाज सुधार” की प्रक्रिया है। सरकार का मानना है कि इस फैसले से लाखों परिवारों में सुधार आया है। लेकिन विपक्ष का तर्क है कि यह कानून गरीबों पर बोझ बन गया है। जहां अमीर बच निकलते हैं और गरीब जेल पहुंच जाते हैं।

महिलाओं की राय

शराबबंदी की शुरुआत में बिहार की महिलाएं सबसे बड़ी समर्थक थीं। उन्होंने इसे घर की इज्जत और बच्चों के भविष्य से जोड़ा। लेकिन अब वही महिलाएं कह रही हैं, कानून तो सही है, लेकिन लागू कौन करे? कई महिला समूहों का कहना है कि शराबबंदी को मज़बूत करने की जगह यह अब गरीबों को फंसाने का हथियार बन गया है। उनकी मांग है कि अगर कानून रहना है तो ईमानदारी से लागू किया जाए, वरना इसका अर्थ ही खत्म हो जाएगा।

विपक्ष की रणनीति और जनता की राय

चुनाव नज़दीक हैं, और विपक्षी दल अब इस मुद्दे को खुलकर उठा रहे हैं। कई नेताओं का कहना है कि उनकी सरकार बनी तो ताड़ी और सीमित मात्रा में शराब को फिर से मंजूरी दी जाएगी। उनका कहना है कि शराबबंदी से राजस्व घटा है और ग़रीबी बढ़ी है। वहीं जनता इस पर दो हिस्सों में बंटी दिख रही हैं। एक वर्ग कहता है हमें शराबबंदी चाहिए, लेकिन सच्ची और ईमानदार।

क्या बदल सकता है कानून?

फिलहाल सरकार की तरफ़ से शराबबंदी में किसी बड़े बदलाव की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। लेकिन अंदरखाने चर्चा ज़रूर है कि कुछ नियमों में संशोधन या ढील दी जा सकती है। जैसे पहली बार पकड़े गए व्यक्ति को जेल की जगह जुर्माने का विकल्प, ग्रामीण इलाकों में ताड़ी के सीमित प्रयोग पर विचार, और शराब तस्करी पर कड़े दंड के प्रावधान। हालांकि, नीतीश सरकार अब भी यही कहती है।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल जनहित में जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसका मकसद किसी भी राजनीतिक दल, नीति या व्यक्ति का समर्थन या विरोध करना नहीं है।

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