Check Bounce Case : देशभर के करोड़ों बैंक ग्राहकों और व्यापारियों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक राहत भरा फैसला सुनाया है। अगर आपका चेक बाउंस हो गया है और आप अब तक अदालतों के चक्कर काट-काट कर थक चुके हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद अहम है। अब कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि चेक बाउंस से जुड़े मामलों में शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया को तेज़, डिजिटल और सरल बनाया जाएगा, जिससे आम नागरिक को न्याय पाने में आसानी होगी। यह फैसला न्याय व्यवस्था में पारदर्शिता और डिजिटल सुगमता की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश?
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने आदेश में कहा है कि यदि किसी व्यक्ति का चेक बाउंस होता है, तो वह बिना किसी जटिल प्रक्रिया के ऑनलाइन माध्यम से भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि शिकायतकर्ता को बार-बार अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना जरूरी नहीं है। अब केवल मूल चेक की कॉपी और बैंक द्वारा जारी बाउंस रिपोर्ट जमा कर शिकायत दर्ज की जा सकेगी। इससे समय और धन दोनों की बचत होगी और न्याय की प्रक्रिया अधिक सुलभ बनेगी।
डिजिटल साक्ष्य भी होंगे मान्य
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि डिजिटल फॉर्म में जमा किए गए दस्तावेज़ जैसे स्कैन की गई चेक कॉपी, बैंक ईमेल रिपोर्ट, या ऑनलाइन बैंकिंग स्टेटमेंट को भी अदालत में मान्य साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जाएगा। इस फैसले के बाद देशभर में लाखों लोगों को बड़ी राहत मिलेगी क्योंकि अब उन्हें हर सुनवाई पर अदालत जाने की आवश्यकता नहीं होगी। यह निर्णय डिजिटल इंडिया की दिशा में एक और महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।
फैसला आम लोगों के लिए खास?
अब तक चेक बाउंस के मामलों में लोगों को FIR या शिकायत दर्ज कराने से लेकर कोर्ट पेशी तक लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था। इससे न सिर्फ आम जनता का समय और पैसा खर्च होता था, बल्कि न्याय मिलने में भी देरी होती थी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अब यह प्रक्रिया सरल, तेज़ और पारदर्शी हो गई है। इससे छोटे व्यापारी, नौकरीपेशा लोग, और आम नागरिकों को सीधे तौर पर फायदा मिलेगा। कोर्ट ने यह भी कहा है कि न्याय प्रणाली का उद्देश्य लोगों को राहत देना है, न कि उन्हें कानूनी जटिलताओं में फँसाना।
शिकायत दर्ज करने की नई प्रक्रिया
अब कोई भी व्यक्ति अगर चेक बाउंस का शिकार होता है, तो वह निम्नलिखित प्रक्रिया के तहत शिकायत दर्ज करा सकता है –
- बैंक से चेक बाउंस रिपोर्ट प्राप्त करें।
- चेक और रिपोर्ट की स्कैन कॉपी तैयार करें।
- निर्धारित पोर्टल या स्थानीय न्यायालय की वेबसाइट पर डिजिटल शिकायत दाखिल करें।
- ईमेल या एसएमएस के माध्यम से शिकायत की स्थिति की जानकारी प्राप्त की जा सकेगी।
- इस नई व्यवस्था से कोर्ट का बोझ भी घटेगा और मामलों का निपटारा पहले से तेज़ी से हो सकेगा।
कानूनी विशेषज्ञों की राय
कानूनी जानकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न्याय प्रणाली को तकनीक से जोड़ने वाला मील का पत्थर है। अब चेक बाउंस मामलों में शिकायतकर्ता को न्याय पाने के लिए वर्षों इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इसके अलावा, यह फैसला उन लोगों के लिए भी चेतावनी है जो जानबूझकर भुगतान में देरी करते हैं।
Disclaimer: यह लेख केवल सामान्य जानकारी और जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी कानूनी निर्णय या कार्रवाई से पहले, अपने वकील या कानूनी विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।